Specialty of Gayatri Mantra
Gayatri Mantra is made from the first letter that comes after every 1000 verses of Ramayana. There are 24 letters in the Gayatri Mantra. While Ramayana written by Valmiki ji has 24000 verses.
गायत्री मंत्र की विशेषता
रामायण के हर 1000 श्लोक के बाद आने वाले पहले अक्षर से गायत्री मंत्र बनता है। गायत्री मंत्र में 24 अक्षर होते हैं। जबकि वाल्मीकि जी द्वारा लिखी गई रामायण में 24000 श्लोक हैं।
गायत्री मंत्र:
ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्यः धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्
गायत्री मंत्र का अर्थ:
भगवान सूर्य की स्तुति में गाए जाने वाले इस मंत्र का अर्थ निम्न है। उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।
मंत्र के प्रत्येक शब्द की व्याख्या:
गायत्री मंत्र के पहले नौ शब्द प्रभु के गुणों की व्याख्या करते हैं।
ॐ = प्रणव
भूर = मनुष्य को प्राण प्रदाण करने वाला
भुवः = दुख़ों का नाश करने वाला
स्वः = सुख़ प्रदाण करने वाला
तत = वह, सवितुर = सूर्य की भांति उज्जवल
वरेण्यं = सबसे उत्तम
भर्गो = कर्मों का उद्धार करने वाला
देवस्य = प्रभु
धीमहि = आत्म चिंतन के योग्य (ध्यान)
धियो = बुद्धि, यो = जो, नः = हमारी,
प्रचोदयात् = हमें शक्ति दें (प्रार्थना)